शनिवार, 29 मार्च 2014

 दबाए चले जाइयो..


हमारे मोहल्ले में एक लड़का रहा करता था..मोंटू। अपने यहां कोई पढ़ता-लिखता था नहीं लेकिन उसने जाने कैसे बी.टेक में एडमिशन ले लिया। मोंटू के नाम का हंगामा मच गया। घर-परिवार,पड़ोस और रिश्तेदारी में भी 'नालायक' बच्चों को मोंटू के नाम से ताने दिए जाने लगे। मोंटू ने बी.टेक क्या पकड़ी बाकी सबके हौसले उसके सामने पस्त। कुछ ही अरसे बाद एक दिन हमें कंप्यूटर पर कुछ समझ ना आया तो हमने मोंटू से पूछ लिया..मोंटू ने भी कुछ देर समझा मगर उसे अपने ज्ञान की हद से बाहर पाया। आखिर मोंटू ने हमको सुझाव दिया कि देख भई..ये फॉर्मूला समझ..यो अंग्रेज्जी में जो भी कमांड देवै,बस यस पे दबाए चले जाइयो..सब ठीक हो जावैगा..हम भी नूइ करैं सब हो जावै...
मैं सन्नाटे में मोंटू को देखता रह गया और वो मुझे अचानक ही छोटा मोंटेक और छोटा मनमोहन जैसा लगने लगा!! बस अमरिक्का की कमांड पे यस दबाए चले जाओ..सब हो जावैगा..

3 टिप्‍पणियां:

  1. इब यो मोंटू कित सै भाई

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  2. अब मैं उसकी पहचान नहीं खोल सकता सुखपाल भाई! ;)

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  3. हा..हा..हा..हा..
    मार्च 2014 की पोस्ट जून 2017 में पढ़कर उस समय की सरकार के घटनाक्रम की यादें ताज़ा हो गई। क्या व्यंग्य कसा और कितने अव्वल तरीके से! शानदार!

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