लहर से बचाव..
चुनाव मैंने भी लड़े हैं ;) । मेरा पहला चुनाव था सातवीं क्लास में। माॅनीटर बनने के लिए वोटिंग हो रही थी।स्कूल में नया था और ना जाने क्या सोचकर मैं भी उम्मीदवार बन गया। एक दोस्त के पक्ष में लहर ऐसी चली कि अपना वोट भी उसी को दे दिया। गिनती हुई तो एक वोट अपने हिस्से में आया था। कुछ वक्त बाद मालूम पड़ा कि किसी लड़की ने दिया था..मुमकिन भी था क्यों कि लड़कों के वोट तो सामने ही पड़ते देखे थे। खैर, जब तक स्कूल में रहा उस वोटर के बारे में बस अंदाजा ही लगाता रहा..पक्के तौर पर कुछ मालूम नहीं पड़ा । आज उसके बारे में सोचता हूँ तो हैरान होता हूँ..क्या ज़बरदस्त लहर थी वो जिसमें उम्मीदवार होने के बावजूद मैं नहीं बच सका था ,मगर तब भी तुमने मुझे वोट दिया था। यही वो हिम्मत और दिलोदिमाग से फैसला करने की ताकत है जो मुझे आज भी किसी लहर में फंसने से बचा लेती है।
यह मुझे काफी अच्छा लगा कि ऐसे में भी आपने हताशा के बीच सकारात्मक सोच रखते हुए कुछ प्रेरणा ली। सही है, लहरों में लहराते जाने के बजाय अपनी अक्ल लगाने का विकल्प ज्यादा बेहतर है।
जवाब देंहटाएंयह प्रेरक किस्सा बाँटने के लिए शुक्रिया।