शनिवार, 29 मार्च 2014

फेसबुक पर ले-दे!!


फेसबुक की लंबे वक्त तक उपेक्षा करने के बाद एक नामी-गिरामी संपादक महोदय अंततः यहाँ अवतरित हुए। उनका वर्षों का तजुर्बा रोज-रोज पोस्ट की शक्ल लेने लगा मगर उफ्फ..ये मुआ फेसबुक नौकरी जितना आसान कहां!! ;) (बशर्ते आप सिर्फ फूल-पत्ती ही ना चिपकाते रहते हों) कुछ तो संपादक जी की कीर्ति और कुछ उनके लेखन का जलवा..फ्रेंडलिस्ट लंबी होती चली गई। अब लिस्ट तो होती है शिवजी की बारात..भांति-भांति के लोग भिन्न-भिन्न उद्देश्य से उनके साथ हो लिए। संपादक महोदय रोज कुछ लिखकर निकल लें और बाद में मुरीद आपस में कमेंट की तलवार भांजें..बीच-बीच में संपादक जी लाइकरूपी ग्लूकोन-डी उनकी जीभ पर छिड़कते जाएं ताकि जोश कम ना हो।उस रोज़ एक पोस्ट पर जंग ने रफ्तार पकड़ी ही थी कि तभी एक "ओवरस्मार्ट नया नवेला जोशीला संघी टाइप" किशोर बिना संपादकजी का पूरा परिचय जाने जंग में उतर गया। उसने आंय-बांय-शांय दो-एक सरसराते कमेंट संपादक जी की तरफ चलाए। इधर संपादक जी ने भी नवयुवक को जवाब दिया। नवयुवक के विरोध को तवज्जो मिली तो उसने फिर पूरे जोश से लड़ाई छेड़ दी। जब कमेंट और प्रतिकमेंट लंबे खिंच गए तो संपादक जी का परिचय ना जानने वाला लड़का खीझ गया। मैं भी ये सारा युद्ध संजय बन देख रहा था। नई उम्र के योद्धा ने फाइनली उनको लिखा कि मुझे लगता है आपको अभी देश में घूमने की जरूरत है.. अध्ययन की भी काफी आवश्यकता है।आप जैसे अधकचरे लोगों से राष्ट्र को नुकसान हो रहा है वगैरह वगैरह...!!
इधर मैं सन्नाटे में...संपादक जी गायब...उनके प्रशंसक शांत...चारों तरफ त्राहिमाम्!
गनीमत है कि बात आगे नहीं बढ़ी। शायद किसी ने लड़के को इनबाॅक्स में समझाया होगा कि हे आर्यवीर! जिन्हें तुम बहस का सामान समझ रहे हो उनकी कई किताबें मार्केट में हैं..वो हर दूसरे दिन अखबारों में छपते हैं..देश तो है ही, विदेश भी कई दफे ना सिर्फ घूमे हैं बल्कि बारीकी से कवर करते रहे हैं । तुम जितनी उम्र के तो उनके कई पोते हैं! हे शूरवीर..तुम जैसों को ये रोज दफ्तर में नौकरी पर रखते और निकालते रहे हैं। आज भी मूड होता है तो गेस्ट लेक्चर दे आते हैं।
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मुझे फेसबुक की यही बात पसंद और नापसंद दोनों है। यहाँ कोई वरिष्ठता-कनिष्ठता नहीं..आपके शब्द आपकी योग्यता तय करेंगे लेकिन वहीं दूसरी तरफ अपनी बुद्धि का सिक्का जमाने के लिए ऐसे लोग भी सबको नसीहत पिलाने लगते हैं जो खुद अपनी ही नसीहत नहीं मानते।
(एक सच्ची फेसबुक कहानी..नमक-मिर्च मेरी मर्जी अनुसार!! © )

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