सत्यसाईँ और मैं
मैं कम से कम इतना छोटा तो था ही उन दिनों कि पैंट नहीं निकर पहना करता था और जो मेरे हाथ में थी वो पत्रिका शायद इंडिया टुडे ही थी। मैंने उस शख्स के बारे में पहले कभी सुना भी नहीं था जिसके बारे में वो पत्रिका जबरदस्त पोलखोल कर रही थी। हर पेज पर सनसनी या सच जो भी था, पूरे विश्वास के साथ लिखा गया था। मैं बात कर रहा हूं पुट्टूपर्थी के स्वर्गीय सत्य साईं बाबा की। पत्रिका बेहद बेदर्दी से उनका सैक्स स्कैंडल खोल रही थी। काफी लोगों के बयान थे कि सत्य साईं बाबा ने कुंडलिनी जागरण के नाम पर उनके साथ कैसे-क्या किया। ये ही मेरा सत्य साईं बाबा से पहला परिचय था। उसके बाद कुछ दक्षिण भारतीयों के घर में मैंने उनकी विशालकाय तस्वीरें टंगी देखीं। लोगों को उनके सेवाकार्यों के बारे में बताते भी सुना पर टीवी पर उनको ज़्यादातर जादू करते देखा और साथ में उस जादू के लिए चैनलवालों की ये बातें भी सुनीं कि ये ढोंग है,ये पाखंड है,ये आंखों का धोखा है।
कुल मिलाकर न्यूज़ चैनलों ने जब कभी सत्य साईं को दिखाया बस हाथों से भभूत पैदा करते दिखाया और लगे हाथ उस जादू की लानत-मलानत भी करते रहे। मैंने टीवी पर उनके ट्रस्ट द्वारा चलाये जा रहे समाजसेवा के किसी भी कार्य पर कोई कार्यक्रम चैनलों को चलाते नहीं देखा। चैनलों ने तो उनके जीते जी बस उनके जादू पर कीचड़ ही उछाला। मगर आज जब सत्य साईं नहीं रहे तो ये ही चैनल उनके जादू को ढोंग नहीं कह पा रहे हैं। ये सवाल नहीं उठा पा रहे कि 40 हज़ार करोड़ का साम्राज्य किन स्रोतों से खड़ा हुआ। ना ही शक ज़ाहिर कर रहे कि शिर्डी के साईं का अवतार होने का उनका दावा कोई सच क्यों माने। सब चैनल एक पखवाड़े से रोती धुनें बजाकर उनके महिमामंडन में जुटे हैं। उनके हाई प्रोफाइल भक्तों की बाइट्स लेकर बाबा का कद बढाने में लगे हैं। भूत प्रेत की कहानियां बांचने के लिए मशहूर एक चैनल उनके सबसे प्रभावशाली एंकर से देर रात सत्य साईं के जादू दिखवा रहा है। ये कहने में भी संकोच नहीं कर रहा है कि वो इस युग के जीते जागते भगवान थे।
क्यों कल तक साईं के जादू को भ्रम कहनेवाले उनके जादू को फैलाने में जुटे हैं। असलियत है कि बाबा टीआरपी गेनर हैं। कोई चैनल इस वक्त उनके जादू की हवा निकालने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। सबका फायदा इसी में है कि उनको भगवान बनाकर कैश कर लो। देशभर में फैले उनके करोड़ों अनुयायियों को उनकी तबीयत के बुलेटिन बांचते रहो और दर्शकों को खुद से चिपकाए रखो। उन पर खूब पॉजीटिव खबरें चलाओ क्योंकि माहौल कुछ ऐसा है कि उनके जादू के खिलाफ चलती खबरों को कोई भाव नहीं देगा। तो जिस खबर को भाव मिल सकता था वो खूब चलीं और उम्मीद है कि उन्होंने कारोबार भी अच्छा किया होगा।
सत्य साईं देश की बड़ी हस्ती थे और उनके ट्रस्ट ने समाज के लिए बहुत काम किया जिसे हमेशा मीड़िया नज़रअन्दाज़ करता रहा। मीड़िया के लिए आकर्षण बस उनका जादू था जिसके फुटेज को ट्रीट( एडिटिंग से तीर और गोले लगाकर) करके वो हमेशा दिखाता रहा और फिर अंधविश्वास के खिलाफ जंग के नाम पर उस जादू की बखिया उधेड़ता रहा। मगर आज वही मीड़िया लोगों के अंधे विश्वास को सहलाने और पुचकारने में लगा है। क्यों मीडिया ने पहले उनके समाजसेवा के कार्यों को नहीं दिखाया और आज वही मीडिया क्यों उनको अवतारी कहने लगा। कभी तो अन्ना जैसे लोगों के पक्ष मे खड़े होकर ये मीडिया खुद के लिए सम्मान बटोरता है और कभी ये ही मीडिया टीआरपी के लिए ऐसा दब्बूपन दिखाता है कि महसूस होता है कि ये भला समाज को क्या रास्ता दिखाएंगे जिनकी दिशाएं खुद टेलीविज़न रेटिंग प्वाइंट तय करते हैं।
बेशक बाबा की बनती-बिगड़ती तबीयत बड़ी खबर थी मगर मीड़िया यहीं नहीं रुका। उसने बाबा को अवतारी बना छोड़ा। उनके समाजसेवा के कार्यों को तो बताया नहीं बस उनको चमत्कारी बना दिया। काश सनसनी बेचता मीड़िया असल बातों पर भी लोगों का ध्यान आकर्षित करे...काश..
(25 अप्रैल 2011- फेसबुक पर पोस्ट)
भारत के सुनहरे अतीत से जब हम वर्तमान के धरातल पर कदम रखते हैं तो एक ओर तो गर्व होता है इसकी तमाम ऐतिहासिक उपलब्धियों पर लेकिन वहीं दूसरी ओर वर्तमान के इसके कईं नकारात्मक पहलुओं से खिन्न भी आती है। इन्हीं पहलुओं में से एक है अंधविश्वास और अंधभक्ति। भारत में लगभग हर कोने में फैले इस कलंक को देखकर फिलहाल तो यहीं कहा जा सकता है कि एक लंबे अरसे तक तो यह न मिटने वाला। जब शिक्षित लोग भी इसके भागीदार बनने से न राह पाए तो फिर इसके बाद उम्मीद भी कैसे की जा सकती है?
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