गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

इस गांव की दीवारें बोलती हैं..

आपको कैसा लगेगा अगर आप बराक ओबामा के कंधे पर हाथ रखकर अपने मुहल्लेभर की कहानियां उसे सुनाएं और वो ध्यान से सुनें भी। आप कैसा महसूस करेंगे जब डोनाल्ड ट्रंप को एक गाय के सामने भाषण देते हुए देखेंगे। ब्रिटिश पीएम थेरेसा मे को आप मुस्कुराते हुए अपने ही गांव के किसी गड़रिये के घर में घुसते देखेंगे तो कैसा महसूस करेंगे और ये भी सोचिए कि आपके सामने एक कोने में इंदिरा और फिदेल कास्त्रो बैठकर किसी मुद्दे पर चर्चा में मग्न हैं। 

बुल्गारिया के एक नन्हें से गांव स्टैलो झेलेज़ेर में ये सब कुछ हो रहा है। भेड़ बकरी और गाय पालनेवाले गांव वालों के लिए ये सब पहले नया था लेकिन अब यहां रहनेवाले चार सौ गांव वालों के लिए ये सब रोज़ की बात हो चुकी है। अब बाहर से भी लोग इस गांव में ये करामात देखने के लिए पहुंचने लगे हैं। विंसिस्लैव येन्कोव नाम के शख्स ने यूरोप के सबसे गरीब देशों में से एक बुल्गारिया के इस गांव को बदहाली से लड़ने का ये नया हथियार दिया है। दरअसल स्ट्रीट आर्टिस्ट येन्कोव ने पूरे गांव को ओपन एयर पिक्चर गैलेरी में बदलकर रख दिया है। मकानों की दीवार पर दुनिया भर केदिग्गजों के चित्र देखकर हर कोई पहले तो हैरत में पड़ गया। फिर धीरे धीरे गांव वालों ने अपनी दीवारों पर भी उन्हें चित्र बनाने का न्यौता दिया। येन्कोव और उनके पेंटर छात्रों ने मकान मालिकों को दुनिया भर की मशहूर हस्तियों के साथ दीवारों पर पेंट कर दिया। भोले भाले गांव वालों की हसरतें दीवार पर उभरीं तो आसपास के इलाके में चर्चा फैल गई। जो पर्यटक बुल्गारिया आ रहे थे उन्हें भी इसकी भनक लगी। गांव के चर्च को बिग बेन में बदलना हो या फिर किसी राजनीतिक दिग्गज की हवा निकालनी हो यहां सब कुछ मौजूद है। दलाई लामा, पोप, इंग्लैंड की महारानी, अल्बर्ट आइंस्टीन.. आप नाम लीजिए वही हस्ती किसी ना किसी दीवार पर हंसते, गुस्साते या बतकही करते नज़र आएगी। इन हस्तियों के साथ आपको नज़र आएंगे उसी गांव के लोग। येन्कोव की पत्नी कैटरीना गांव में पल रही इस कला को अलग ही निगाह से देखती हैं। उनका कहना है कि गांवों में दुनिया की हर समस्या का निदान है। शहर में इंसान एक दूसरे का शोषण करते हैं लेकिन गांव इसके एकदम उलट हैं। गांव में लोग एकदम सच्चे हैं जबकि शहर की कॉरपोरेट दुनिया में मुनाफा सबसे ऊपर है और पॉलिटिकल करेक्टनस सबसे बड़ी चीज़ हो गई है। कैटरीना कहती हैं कि हमारे लिए इस गांव के लोग सबसे ज़्य़ादा अहमियत रखते हैं। मज़ेदार बात तो ये है कि इस गांव के लोग दीवार पर बनाए गए सभी सेलिब्रिटीज़ को नहीं पहचानते। हां, वो पेंटिंग में एक-दूसरे को आसानी से ढूंढ लेते हैं। वैसे मीडिया के ज़रिए ये गांव खासा मशहूर हो चुका है और जो लोग टीवी या अखबार में इन पेंटिंग्स को देख चुके हैं वो तो सेलिब्रिटीज़ के साथ बैठे गांव वालों के चेहरों को भी पहचानने लगे हैं। कितनी ही बार हुआ है जब किसी पर्यटक ने गांव की गली से गुज़रते गरीब चरवाहे को इसलिए रोक लिया क्योंकि चारपाई पर बैठे अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ उसकी पेंटिंग वो ना जाने कितनी बार देख चुका। ऐसे में पर्यटकों के लिए ये गांव वाले भी सेलिब्रिटी बन चुके हैं।


 40 साल पहले इस गांव में इंदिरा गांधी और फिदेल कास्त्रो का आना हुआ था। उसकी याद में गांव के चर्च की दीवार पर इन दोनों को भी पेंट कर दिया गया। हाल फिलहाल चल रहे राजनीतिक मुद्दों पर भी दीवारों को पेंट किया जाता है। वैसे सभी गांव वाले शुरू में इस आर्ट को लेकर उत्सुक नहीं थे। देखादेखी चलन बढ़ता गया और अब तो हर गर्मी में जब पोलैंड से येन्कोव आते हैं तो उन्हें खुद को पेंट करने की फरमाइशें करते गांव वाले मिल जाते हैं। पर्यटकों की आवाजाही से भी गांव वालों की दिलचस्पी बढ़ गई है। कैटरीना यही सब देखकर पूरे भरोसे से कहती भी हैं कि गांवों का भविष्य नज़दीक ही है।
(रेडियो बुल्गारिया और डेली मेल से जुटाई जानकारी पर आधारित) 









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