गुरुवार, 29 मई 2014

पॉलीटिक्स से पीड़ित!

कुछ लोग राजनीति के मारे होते हैं.. राजनीति उनके सिर चढ़कर बोलती है। वो आपको मिलेंगे भी तो नमस्ते इंसान की तरह नहीं, नेता की तरह करेंगे। पोज़ ऐसा होगा कि आप समझ ही जाएंगे कि भाई पॉलीटिक्स से पीड़ित है। अच्छा नमस्ते के बाद हालचाल लेंगे तो वो भी घोर पॉलीटिकल अंदाज़ में..पॉज़ लिए बगैर... 

24 घंटे पॉलीटिकल मूड में रहनेवाले ऐसे लोगों से मैं बहुत डरता हूं। मिलना नहीं चाहता और मिल जाएं तो भाग निकलने की जुगत लगाता हूं। ये मिलेंगे तो क्या कुछ कहेंगे...मसलन... क्या गुरू,कांग्रेस जैसा मुंह क्यों लटकाए हो..  भाई क्या बात, आज  बड़े कमल की तरह खिल रहे हो...  यार राहुल गांधी जैसी बात ना कर... दोस्त मोदी जितना भी ना फेंको!
एक दोस्त ने हमें ये भी बताया कि अब ऐसे लोग नखरेबाज़ दोस्तों को ये कह कर भी ठेलते हैं- स्साले केजरीवाल ना बन!!

कहने का मतलब कुल जमा इतना है कि ये लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आते और पॉलीटिकल बात करने के लिए इन्हें किसी के उकसावे की भी ज़रूरत नहीं होती। हमारा एक पुराना जाननेवाला था। उम्र तो हमसे दोगुनी ही थी लेकिन दो ही तरह की बातों में उसने सारा बचपन औऱ जवानी गुज़ार दी थी...पॉलीटिकल और सेक्स की बातें। कहने की ज़रूरत नहीं कि सेक्स में भी पॉलीटिकल बात कर लेता था क्योंकि उसका पहला प्यार पॉलीटिक्स ही थी.. अलबत्ता वोट नहीं देता था क्योंकि उसका इंटरेस्ट पॉलीटिक्स में नहीं पॉलीटिकल बातों में था।  साहब की बीवी ने बताया कि पहली बार देखने घर आए तो अकेले में मौका मिलते ही पूछा- तुम्हें बीजेपी पसंद है या कांग्रेस?? उसने अपनी ज़िंदगी में किसी के नाम का नारा नहीं लगाया था और ना ही किसी पार्टी को ज्वाइन किया लेकिन पॉलीटिक्स का कीड़ा इतना कि कोई नेता भी इतनी बात पॉलीटिक्स की ना करता होगा। 
मुझे औरों का नहीं पता लेकिन मौके-बेमौके पॉलीटिकल बात कर माहौल खराब करनेवालों को मैं दिमागी दहशतगर्द मानता हूं..इनका मकसद कुछ नहीं बस रायता फैलाना है..जब तक हो सके बचिए!!


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